इन पांच स्थानों पर रखे श्राद्ध का आहार मिलेगी पितरो को मुक्ति ! - Hindu

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Monday, September 7, 2020

इन पांच स्थानों पर रखे श्राद्ध का आहार मिलेगी पितरो को मुक्ति !

इन पांच स्थानों पर रखे श्राद्ध का आहार मिलेगी पितरो को मुक्ति !









आज इस आर्टिकल में हम आपको श्राद्ध के बारे में बताने जा रहे हैं श्राद्ध का मतलब होता है श्रद्धा पूर्वजों की श्रद्धा के लिए ही श्राद्ध किया जाता है।







श्राद्ध न करने वाले दलील देते हैं कि जो मर गया है उसके निमित्त कुछ करने का औचित्य नहीं है यह ठीक नहीं है, क्योंकि संकल्प से किए गए कर्म जीव चाहे जिस योनि में हो, उस तक पहुंचता है तथा वह तृप्त होता है। यहां तक कि ब्रह्मा से लेकर घास तक तृप्त होते हैं।







 श्राद्ध करने का सर्वप्रथम अधिकार पुत्र को होता है इसके बाद उसका कोई भी फैमिली मेंबर श्राद्ध कर सकता है।
















प्रथम गौ बलि- घर से पश्चिम दिशा में गाय को महुआ या पलाश के पत्तों पर गाय को भोजन कराया जाता है तथा गाय को 'गौभ्यो नम:' कहकर प्रणाम किया जाता है गौ देशी होना चाहिए।





द्वितीय श्वान बलि- पत्ते पर भोजन रखकर कुत्ते को भोजन कराया जाता है तृतीय काक बलि- कौओं को छत पर या भूमि पर रखकर उनको बुलाया जाता है जिससे वे भोजन करें।







चतुर्थ देवादि बलि- पत्तों पर देवताओं को बलि घर में दी जाती है। बाद में वह उठाकर घर से बाहर रख दी जाती है पंचम पिपलिकादि बलि- चींटी, कीड़े-मकौड़ों आदि के लिए जहां उनके बिल हों, वहां चूरा कर भोजन डाला जाता है।







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